2023 Nirjala Ekadashi क्यों मनाई जाती है, जानिए तारीख, समय, शुभ संयोग और पूजा विधि

Anil Biret
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Nirjala Ekadashi 2023 : निर्जला एकादशी का पर्व 31 मई को मनाया जाएगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। साल भर में कुल 24 एकादशी तिथि आती हैं। इसमें निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करने के साथ साथ विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

जानिए समय, संयोग और पारणपंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर शुरु होगी और 31 मई को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट समाप्त होगी। ऐसे में 31 मई उदया तिथि मानी जाएगी। एकादशी भी इसी दिन की पानी जाएगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि का योग सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 06 बजे तक बन रहा है। पारण एक जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक किया जाएगा।

मेवाड़ में होगी पतंगबाजीमेवाड़ में इस दिन पतंगें उडानें की परम्परा है। इसको लेकर बाजार में पतंगों की दुकानें सज गई हैं। वही पतंगबाजों, बच्चों व बड़ों में पर्व को लेकर उत्साह दिखने लगा है। राम पतंग के विवेक शर्मा ने बताया की पर्व की तैयारी में अभी से युवा और उनके परिजन जुटे हुए है। बच्चों के स्कूल की छुट्टियां होने से अभी से ही छतों पर पतंगबाज़ी का लुत्फ लेते दिख हैं। पतंग उड़ाने के शौक़ीन अपने नाती-पोतों के साथ आज भी निर्जला एकादशी पर्व पर पतंग उडाने का आनंद लेते है। शहर के आसपास मनाये जाने वाले इस पर्व पर विशेष रूप से शहर के परकोटे में खूब पतंगबाज़ी होती है।

ऐसे करें पूजा अर्चना

1 नहाने के बाद सबसे पहले घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करनी चाहिए।

2-भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाना चाहिए।
3 भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाना चाहिए।
4-आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़नी चाहिए।
5-भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

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