PLI योजना: नोटबुक और वर्कस्टेशन समेत भारतीय पीसी बाजार के आयात में पिछले साल के मुकाबले कैलेंडर वर्ष 2023 की पहली तिमाही के दौरान कुल मिलाकर 30.1 प्रतिशत तक की कमी आई है और यह गिरकर केवल 29.9 लाख इकाई रह गया है। इंटरनैशनल डेटा कॉरपोरेशन (IDC) के आज जारी वर्ल्डवाइड क्वार्टर्ली पर्सनल कंप्यूटिंग डिवाइस ट्रैकर के नवीनतम आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
हालांकि वर्ष 23 की पहली तिमाही में डेस्कटॉप की मांग सकारात्मक थी, लेकिन नोटबुक श्रेणी में एक और कमजोर तिमाही नजर आई क्योंकि इसमें पिछले साल के मुकाबले 40.8 प्रतिशत तक की गिरावट हुई।
मुख्य रूप से धीमी मांग और बाजार की कम धारणा के कारण उपभोक्ता खंड में पिछले साल की तुलना में 36.1 प्रतिशत तक की गिरावट आई है तथा उद्यमों और एसएमई द्वारा खरीद में कमी करने या खरीद टालने के कारण वाणिज्यिक खंड में पिछले साल के मुकाबले 25.1 प्रतिशत तक की गिरावट आई है।
पीसी आयात में यह लगातार गिरावट ऐसे समय में आई है, जब सरकार ने बेहतर वित्तीय प्रोत्साहन के साथ आईटी उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) की नई योजना की हाल ही में घोषणा की है। इसका उद्देश्य देश में पीसी और लैपटॉप के घरेलू उत्पादन को बढ़ाना है, जिनका फिलहाल ज्यादातर आयात किया जाता है और वह भी चीन से।
इसके अलावा इसका उद्देश्य भारत को क निर्यात केंद्र में तब्दील करना भी है। देश में ईएमएस कंपनियों को ठेके देते हुए एचपी, डेल, एसर, आसुस और यहां तक कि लेनोवो जैसी वैश्विक कंपनियों का उत्पादन भारत में स्थानांतरित कराने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
अलबत्ता विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह एक अस्थायी झटका है और भारत में इन उत्पादों के उत्पादन को आकर्षक बनाते हुए मांग में तेजी आएगी। आईसीईए के अनुमान के अनुसार आईटी हार्डवेयर पर पीएलआई योजना में छह साल के दौरान भारत में 3.35 लाख करोड़ रुपये के संचयी उत्पादन का अनुमान है, जो इसी अवधि के लिए घरेलू बाजार में संचयी मांग का आधा भी नहीं है।
लेकिन इस समय वास्तविकता यह है कि वर्ष 23 की पहली तिमाही में आयात में गिरावट और भी तेज हो जाती, अगर सरकार और शिक्षा क्षेत्रों की मांग नहीं होती जो वर्ष 23 की पहली तिमाही में सकारात्मक क्षेत्र में थे।