SSO Rajasthan, Today Tudi Bhav: मार्च और अप्रैल में हुई बारिश और ओलावृष्टि से फसलों में हुए नुकसान के बाद पशु पालकों को अब चारे की समस्या से जूझना पड़ रहा है। बारिश से गेहूं की फसल में गलन हो गया था, जिसके कारण गेहूं की पैदावार कम होने से तूड़ा की कमी महसूस की जा रही है।
इससे तूड़ा के भाव दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। पंजाब से टेंपो और गाड़ियों में भरकर लाया जा रहा तूड़ा 450 से 600 रुपये प्रति क्विंटल पशुपालकों को मिल रहा है। सबसे बड़ी परेशानी यह आ रही है कि 650 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान करने के बाद भी व्यापारी साफ पशुचारा नहीं दे रहे। क्विंटल के हिसाब से पूरा पशु चारा भी नहीं दिया जा रहा।
बता दें कि इस वर्ष कई किसानों को गेहूं की फसल में 40 से 60 फीसदी का नुकसान हुआ है। ज्यादातर किसानों को 50 फीसदी तक गेहूं की फसल में नुकसान हुआ था। रेवाड़ी व कोसली उपमंडल में 40 से 60 प्रतिशत तक गेहूं की फसल प्रभावित हुई थी। इसके चलते पशुपालकों को अब तूड़ा की कमी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिन किसानों ने अभी तक तूड़ा नहीं खरीदा है, उन्हें आगामी दिनों में और अधिक कीमत पर तूड़ा खरीदना पड़ेगा।
बीते साल भी 600 रुपये रहा Tudi Bhav
बीते साल भी बारिश के कारण रबी के सीजन में जिले किसानों को चारे की समस्या से जूझना पड़ा था। इसके चलते किसानों के पंजाब से तूड़ा मंगवाना पड़ा था। पशुपालकों को एक किलो तूड़ा के लिए 6 रुपये तक दाम चुकाने पड़े थे। जिले में चारे की ज्यादातर आपूर्ति रबी के सीजन में होने वाले गेहूं की फसल से ही पूरी होती है। ज्वार-बाजरा भी बहुत कम होता है। ऐसे में पशुपालकों को तुड़ा पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इस साल बारिश व ओलावृष्टि से हुए नुकसान के कारण तुड़ा का उत्पादन बेहद कम हुआ है।
Tudi Bhav वढने से बाहरी व्यापारियों ने जगह-जगह डाला तुड़ा
पशुपालकों ने बताया कि पंजाब से तुड़ा लाकर जिले के पशुपालकों को बेचने वाले व्यापारियों ने पंजाब आदि से तुड़े के ट्रक मंगवाकर ग्रामीण क्षेत्रों में एवं रेवाड़ी की अनाज मंडी के समीप डेरा जमाया हुआ है। ये व्यापारी तुड़ा लोड करने से लेकर घर में डालने तक का कार्य स्वयं ही करते हैं। ऐसे में पशुपालक अन्य परेशानियों से बचने के लिए इन्हीं व्यापारियों से तुड़ा खरीद रहे हैं।