PU: पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्सेदारी के मुद्दे पर सोमवार को पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक खत्म हो गई है। दोनों सीएम के बीच इस मुद्दे पर एक बार फिर सहमति नहीं बन पाई है।
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अब तीन जुलाई को दोबारा बैठक होगी। हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान की इस अहम बैठक की अध्यक्षता चंडीगढ़ के प्रशासक और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने की।
मान ने 26 अगस्त 2008 को पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा पत्र दिखाया। जिसमें उन्होंने कहा कि पीयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने पर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद मैंने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा कि इसे केंद्रीय निकाय न बनाया जाए।
तब पंजाब विधानसभा ने 30 जून 2022 को एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि केंद्र पीयू में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है लेकिन यह एक अंतरराज्यीय निकाय रहेगा। अगस्त 2022 में, एक कांग्रेस महिला विधायक ने हरियाणा विधानसभा में एक प्रस्ताव लाया कि हरियाणा के कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए।
जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। मान ने कहा कि हमारी तरफ से इस पर कोई सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी तंज कसा कि क्या हरियाणा के लोग कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी को ऐसा नहीं बना सकते कि छात्र पंजाब यूनिवर्सिटी से डिग्री की बात कर रहे हैं.
हरियाणा के CM मनोहर लाल ने कहा- ‘हरियाणा के युवाओं को बेहतर शिक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हरियाणा के युवाओं और कॉलेज को मिले पंजाब यूनिवर्सिटी का विकल्प मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉलेज के एफिलिएशन से विश्वविद्यालय में हरियाणा के छात्र भी शिक्षा ले पाएंगे।’
चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि ज्ञान की गंगा हमेशा बहती रहती चाहिए। तक्षशिला, नालंदा के वक्त से हमारी संस्कृति ने यह ज्ञान दिया है।
PU ने कहा- पंजाब नहीं दे रहा अपना वित्तीय शेयर
मीटिंग में पंजाब यूनिवर्सिटी की ओर से आए प्रतिनिधियों ने बताया कि पंजाब अपना वित्तीय शेयर पंजाब यूनिवर्सिटी को नहीं दे रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से पिछले 10 सालों में 200-300 करोड़ औसत प्रति वर्ष की ग्रांट दी जा रही है, लेकिन पंजाब की तरफ से पिछले 10 सालों केवल 20-21 करोड़ औसत प्रति वर्ष ही दिए गए हैं। जबकि पंजाब को 40% बजट पीयू को देना चाहिए। पंजाब अपने हिस्से के मुकाबले में 7-14 फीसदी ही बजट दे रहा है।
1990 तक हरियाणा सरकार से मिली ग्रांट
बीते तीन दशक से अधिक समय से पंजाब यूनिवर्सिटी को पंजाब सरकार द्वारा ही ग्रांट जारी की जाती रही है। जबकि, साल 1990 तक हरियाणा सरकार द्वारा भी 40 प्रतिशत ग्रांट दी जाती रही। इसके पीछे कई प्रकार के राजनीतिक कारण रहे, लेकिन हरियाणा से ग्रांट बंद होने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार द्वारा ही ग्रांट दी जाती रही है।
इससे पंजाब यूनिवर्सिटी की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती गई, यदि हरियाणा सरकार PU को अब दोबारा ग्रांट देनी शुरू करती है तो यूनिवर्सिटी को आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी।