महर्षि वात्स्यायन आजीवन ब्रह्मचारी थे, फिर उन्होने Kamasutra जैसा ग्रंथ क्यों लिखा, बहुत बड़ी है इसकी वजह

Kumar Sandeep
Kumar Sandeep  - Editor
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Kamasutra History: महर्षि वात्स्यायन (Maharshi Mallanaga Vatsyayana) ने जब दूसरी या तीसरी शताब्दी के दौरान मानव जीवन के लिए उपयोगी एक अलग तरह की किताब “कामसूत्रम” (Book Kamasutra ) लिखी तो तहलका मच गया।

उनकी ये किताब सैकड़ों सालों से दुनियाभर में हिट है लेकिन असल हैरानी ये भी है कि आजीवन ब्रह्मचारी होते हुए भी उन्होंने ऐसा ग्रंथ कैसे लिख डाला। ये तो हम सभी जानते हैं कि दुनिया के सबसे अधिक बिकने वाली किताब कामसूत्र (Kamasutra) के लेखक महर्षि वात्स्यायन हैं, लेकिन हममें से कम लोग जानते होंगे कि वात्‍स्‍यायन आजीवन ब्रह्मचारी रहे।

Kamasutra History

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बावजूद इसके उन्हें सेक्स (Sex) की प्रगाढ़ समझ थी और इस कला को उन्होंने कई नए और खूबसूरत आयाम दिए। इसी क्रम में उन्होंने कामसूत्र जैसी पुस्तक (Books Of Kamasutra) की रचना की जो सदियों बाद आज भी प्रासंगिक है। आज हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताते हैं।

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बनारस (Banaras) में काफी वक्त गुज़ारने वाले वात्स्यायन ऋषि को बहुत ज्ञानी माना जाता है जिन्हें वेदों की भी बहुत अच्छी समझ थी। हालांकि ये माना जाता है कि वो दूसरी और तीसरी शताब्दी में पटना में निवास करते थे। महर्षि वात्स्यायन ने पहली बार वैज्ञानिक तौर पर बताया कि आकर्षण का विज्ञान आखिर क्या है।

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उनका मानना था कि जिस तरह हम जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं की बात करते हैं, उसी तरह हमें सेक्स की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। वात्स्यायन धार्मिक शिक्षाओं से जुड़े हुए थे। बेशक उन्होंने कामसूत्र लिखा लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वो कभी सेक्स गतिविधियों में संलग्न नहीं रहे।

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कहा जाता है कि वात्स्यायन ने कामसूत्र (Kamasutra), वेश्यालयों में जाकर देखी गई मुद्राओं को नगरवधुओं और वेश्याओं से बात करके लिखा। मशहूर लेखिका वेंडी डोनिगर ने अपनी किताब “रिडिमिंग द कामसूत्रा” में विस्तार से महर्षि वात्सयायन के बारे में भी बताया है। कामसूत्र की असल किताब जीवन जीने की कला यानि आर्ट ऑफ लिविंग की तरह देखना चाहिए।

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इतिहासकारों के मुताबिक वात्स्यायन को लगा कि सेक्स के विषय पर खुलकर चर्चा होनी चाहिए। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्होंने अपने किताब के माध्यम से इस बात को सुनिश्चित करने की कोशिश की कि लोग इस संबंध में बेहतर जानकारी हासिल कर सकें।

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आज भी दुनियाभर के लोग इस किताब को रेफर करते हैं। हज़ारों साल बाद भी ये प्रासंगिक है। वात्स्यायन महान दार्शनिक भी थे। उन्होंने न्याय सूत्र नामक किताब भी लिखी। ये किताब आमतौर पर आध्यात्मिक उदारवाद पर थी जो जन्म और जीवन पर आधारित है। ये मोक्ष की भी बात करती है। ये शानदार किताब है, जो ये बताती है कि वात्स्यायन कितनी विलक्षण बुद्धि के थे। हालांकि इस किताब पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई।

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हिन्दी विश्वकोश ( पृ० २७४ ) में नीतिसार के रचयिता कामन्दक को चाणक्य (कौटल्य) का प्रधान शिष्य कहा गया है। कोशकारों के मत से कामन्दक ही वात्स्यायन थे।

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मेरा नाम संदीप कुमार है. मैं हरियाणा का निवासी हूं. मैंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली है. वर्तमान में मै SSORajasthan.in पर बतौर लेखक के रूप में कार्य कर रहा हूं. मै सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्कीम, एजुकेशन और लाइफ स्टाइल से जुड़े विभिन्न कंटेंट जितनी जल्द हो सके पाठको तक पहुंचाने की कोशिश करता हूँ.
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