Tree Farming: मानसून से पहले करे इस पेड़ की खेती, इस पेड़ की खेती से होगा अच्छा मुनाफा, जानिए कैसे होती है ये खेती

Divya Verma
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पेड़

Tree Farming: इन दिनों इस पेड़ की बाजार में काफी मांग बढ़ रही है ऐसे में आप इसकी खेती करके कुछ ही दिनों में मालामाल हो सकते है।

आपको बता दे, सागवान की खेती के लिए बारिश के पहले का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है। शुरूआती सालो में इसकी साफ-सफाई पर विशेष तौर से ध्यान रखा जाता है। यह भारत में सबसे ज्यादा मूल्यवान और ऊंची कीमत वाली टिम्बर की फसल है। यह सबसे महत्वपूर्ण लकड़ी होती है और इसका प्रयोग फर्नीचर, प्लाइवुड, कंस्ट्रक्शन के लिए प्रयोग किये जाने वाले बढ़े खम्भे और जहाज निर्माण के लिए किया जाता है। ये लकड़ी मूलयवान होती है। यदि आपने इस पेड़ की खेती कर ली है तो कुछ ही समय में आप करोड़पति भी बन सकते है।

उन्नत किस्में देती है भरपूर पैदावार

सागवान की कई उन्नत किस्में मौजूद है, जिन्हे ऊगा कर अच्छी कमाई भी जा रही है। पैदावार के मामले में यह सभी किस्में सामान्य होती है, इन्हें अलग-अलग जलवायु के हिसाब से उगाया जाता है ।
सागवान की कुछ प्रमुख किस्में दक्षिणी और मध्य अमेरिका सागवान, पश्चिमी अफ्रीकी सागवान, अदिलाबाद सागवान, नीलांबर सागवान, गोदावरी सागवान और कोन्नी सागवान इस प्रकार है। इन किस्मों से उत्पादन को बेहद अच्छा बनाया जा सकता है जिससे बाजार में इसकी कीमत काफी अच्छी मिलती है। और इसका मुनाफा दोगुना हो जाता है।

पेड़
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कैसे होती है खेती

सागवान की खेती के लिए मिट्टी के भुरभुरा बनाने के लिए खेत की 2-3 बार जोताई करें। मिट्टी को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके। नए पौधों की रोपाई के लिए 45x45x45 सैं. मी. के फासले पर गड्ढे खोदे। प्रत्येक गड्ढे में गली हुई रूड़ी की खाद के साथ कीटनाशी डालें। इसके लिए मिट्टी का pH 6.5 या इससे ज्यादा होना चाहिए। रोपाई के लिए 2×2 या 2.5×2.5 या 3×3 मीटर का फासला रखा जाता है। एक एकड़ में रोपाई के लिए लगभग 1500-1800 clones का प्रयोग करें। एक 14 वर्ष का सागवान का वृक्ष 10-15 घन फीट की लकड़ी प्रदान करता है। और आप इसकी कटाई कर इसे बाजार में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। ये लकड़ी काफी महंगे दामों में बाजार में उपलब्ध होती है।

बिजाई से पहले करें बीजों का उपचार

सागवान वृक्ष के फल का छिल्का मोटा और सख्त होता है, इसलिए नर्सरी में बिजाई से पहले सागवान के बीजों की अंकुरन प्रतिशतता बढ़ाने के लिए बीजों का पूर्व उपचार किया जाता है। फलों को भिगोने और सुखाने के लिए पूर्व उपचार का पारंपरिक ढंग प्रयोग किया जाता है। इस विधि में बीजों को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोया जाता है और फिर 12 घंटे के लिए धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया 10-14 दिनों तक बार बार दोहराई जाती है। इससे बीजों की उत्पादन क्षमता काफी अच्छी हो जाती है जिससे उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है। किसान इन सब्जियों की खेती कर सालाना कर रहे है लाखों रूपये की कमाई, जानिए किन तकनीकों कर रहे है इस्तेमाल

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