SSO Rajasthan, Desi variety of wheat Sona Moti: जैसलमेर के बरसाती खड़ीन अपने शुद्ध देसी चने और गेहूं के उत्पादन के लिये पहले से विख्यात ही है. लेकिन इस बार जैसलमेर में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने का कार्य कर रही संस्था अथरान ऑर्गेनिक्स ने स्थानीय युवा किसान अमिताभ बालोच के साथ मिलकर दूसरी बार गेंहूं की प्राचीन देसी किस्म सोनामोती को उगाया है, जो अब पक कर तैयार है.
अथरान ऑर्गेनिक्स के संचालक पार्थ जगाणी ने बताया कि गेहूं एक सामान्य अनाज है जिसके बिना भोजन की कल्पना ही अधूरी है. तकरीबन आधी सदी पहले तक गेहूं की 37 से ज्यादा देसी किस्में पूरे भारत में उगाई जाती थी. जैसलमेर के युवा जैविक किसान अमिताभ बालोच से सम्पर्क करने पर उन्होंने सिंध और पंजाब क्षेत्र की प्राचीन देसी किस्म सोनामोती के बीज बीहाईव ऑर्गेनिक्स के मार्फ़त से उपलब्ध करवाये. इस प्राचीन देसी किस्म के गेहूं को जैसलमेर में दूसरी बार अमिताभ बालोच द्वारा खड़ीन में चने के साथ इंटेग्रेटेड फसल के रूप में बोआ गया था.
वे बताते है कि गेहूं की इस देसी किस्म का दाना छोटा व गोल, लगभग ज्वार जैसा होता है.जिसमें आधुनिक संकर किस्मों के सामान्य गेहूं के मुकाबले अधिक मात्रा में फोलिक एसिड, खनिज तत्व और प्रोटीन होते हैं. फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं के लिए काफी लाभदायक होता है, साथ ही इससे बाल भी मजबूत बनते है. इसके अतिरिक्त इस किस्म में ग्लूटेन और ग्लाइसीमिक तत्व भी कम होते है.
जिस कारण देश-विदेश में डायबिटीज के मरीजों में इस देसी गेहूं की बहुत मांग है. उन्होंने लगातार दूसरे वर्ष गेहूं की इस प्राचीन देशी किस्म को स्वयं उगा कर यह निष्कर्ष निकाला है कि बगैर कीटनाशक और रासायनिक खाद के भी इसकी जैसलमेर के खड़ीनों में अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
वर्ष 2021-22 में 1 किलो बीज से औसत 20 किलो उत्पादन प्राप्त हुआ था. जो इस बार 25 किलो औसत तक पहुंच गया है. अमिताभ बालोच को आशा है कि इस पुरानी देसी किस्म के गेहूं का जैसलमेर के खड़ीनों में उत्पादन लेने से खड़ीनों की उत्पादकता के साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी.